वीरभद्र
गजस्थान के आदिवासी गरासियों का देश ‘कुंवारों का देश' कहलाता है। आबू पर्वत के पूर्व में फैली पहाड़ियों में चौइस गांव फैले हुए है। इन गाँवों का यह क्षेत्र भाखरपट्टा कहलाता है| इस पट्टे का सबसे बड़ा गांव जाम्बुडी है। इसी गांव में इन गरासियों का सबसे बड़ा आदमी “पटेल” रहता है। यह पटेल ही इनका राजा होता है। इसी का हुकम चलता है। फरमान चलता है। न्याय चलता है। सजा चलती है।

राजस्थान की लोकनाट्य परम्परा मे मेवाड़ के गवरी और उसके साहित्य पर शोध प्रबंध लिखने के सिलसिले में में जब भीलों में प्रचलित सुप्रसिद्ध गवरी (राई) में वर्णित भारत-गीति-गाथा-कथा को पढ़ रहा था तब उसमें वर्णित देवी अंबाब का सातवें पियाल (पाताल) जाकर बडल्या (वट वृक्ष) लाना, देवल ऊनवा में उसकी स्थापना करना, मान्या जोगी का अपने चेलों सहित उसे देखने आना|

दहकते अंगारो पर महकते फूलों की तरह नाचना यों तो अनहोनी बात लगती है, परन्तु हमारे यहाँ ऐसे कई अजब कलाकरिश्मे प्रचलित हैं जिनके साथ यहाँ का कलाकार असाधारण-विचित्र होता हुआ भी सामान्य साधारण बनकर जीता है। आग पर फाग खेलना और राग अलापना अपने आप में कितना संश्लिष्ट चित्रण है। आइए, इनका पर्यवेक्षण करें।

मीराबाई जितनी लोकचर्चित है उतना ही उसका जीवनवृत्त अनबुझ पहेली बना हुआ है। वह राजकुल की जितनी मर्यादा में रही उतनी ही लोककुल की गगा बन भक्ति रस में लवलीन रही। यही कारण है कि बहुत कुछ कहने के बावजूद भी उसके सबंध में बहुत कुछ कहना ओर शेष रह गया है। यह एक ऐसी अद्भुत नारी है जिसके सबंध मे इतना अधिक लिखा जाता रहने पर भी कोई लेखन पूर्णता को प्राप्त नहीं होगा और मीरा नित नई होकर उभरती रहेगी।
