गणपती आरती संग्रह 1

गणपती आरती संग्रह. Ganapati Aarti Sangrah.


आदि अवतार तुझा, अकळकळपठार...


आदि अवतार तुझा, अकळकळपठारी।
ब्रह्मकमंडलु गंगा रहिवास तये तीरी।
स्नान पै केलिया हो, पाप ताप निवारी।
मोरया दर्शनें हो, जन्ममरण दूरी॥१॥
जय देवा मोरेश्वरा जय मंगळमूर्ती॥
आरती चरणकमळा, ओवाळू प्राणज्योती॥जय.॥धॄ.॥
सुंदरमस्तकी हो, मुकुट पिसे साजीरा।
विशाळ कर्णद्वय, कुंडले मनोहर।
त्रिपुंडटिळा भाळी,  अक्षता ते सोज्वळी।
प्रसन्न मुखकमळ, मस्तकी दुर्वांकुर॥जय.॥२॥
नयन निर्मळ हो भुवया अति सुरेख।
एकदंत शोभताहे, जडित स्वर्ण माणिक।
बरवी सोंड सरळ,  दिसतसे अलौकिक।
तांबूल मुखीं शोभे अधररंग सुरेख॥जय॥३॥
चतुर्भुजी मंडित हो, शोभती आयुधें करी।
परशुकमलअंकुश हो, मोद्क पात्र भरी।
अमृतसम मधुर, सोंड शोभे तयावरी।
मूषक वाहन तुझें, लाडू भक्षण करी॥जय.॥४॥
नवरत्नहार कंठी, यज्ञोपवीत सोज्वळ।
ताईत मिरवीतसे, त्याचा ढाळ निर्मळ।
जाईजुई नागचांफ़े, पुष्पहार परिमळ।
चंदनी कस्तुरीचा शोभे टिळक वर्तुळ॥जय.॥५॥