गणपती आरती संग्रह 2

गणपती आरती संग्रह


आरती गणपती। पदपंकजि प्री...

आरती गणपती। पदपंकजि प्रीती॥
ओवाळूं भावें भक्ती। सर्वारंभी मंगळमूर्ती॥धृ.॥
आधारे सृष्टी ज्याचें। तो हरिगौरीसुत नाम ज्याचे। होय विघ्नांचा अंत॥१॥
पाहतां रुप ज्याचें। अद् भूतचि गजमूख॥
शशांकसूर्य वन्ही॥ त्रिनेत्र दंत एक॥२॥ 
पन्नग विभूषणें। कटिकटि मंडीत॥
श्रवणी कंठ गळा। वेष्टितसे उपवित॥३॥
सायुध कर चारी। लंब उदर ज्याचे॥
भरले चौदाविधी। चौसष्टिकळी साचें॥४॥
सिद्धीऋद्धीबुद्धीचा भुक्तिमुक्तींचा दाता॥
बिरुदाचे तोंडर। पायी गर्जतीरमतां॥५॥
षडानन बंधूसंगे। नाचसि डमरु नादें॥
शिवशक्ती पाहोनियां ध्यान मनी। प्रेमभावे पुजीत॥
श्रीदास तुजलागी। करी तयासि मुक्त॥८॥