भजन

भजन


न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ

न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ
तेरे चरणों की धूल मिल जाये
तो मैं तर जाऊँ, हाँ मैं तर जाऊँ
हे राम तर जाऊँ...

मोह मन मोहे, लोभ ललचाये
कैसे कैसे ये नाग लहराये
इससे पहले कि मन उधर जाये
मैं तो मर जाऊँ, हाँ मैं मर जाऊँ
हे राम मर जाऊँ

थम गया पानी, जम गयी कायी
बहती नदिया ही साफ़ कहलायी
मेरे दिल ने ही जाल फैलाये
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ - २
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ...

लाये क्या थे जो लेके जाना है
नेक दिल ही तेरा खज़ाना है
शाम होते ही पंछी आ जाये
अब तो घर जाऊँ अपने घर जाऊँ
अब तो घर जाऊँ अपने घर जाऊँ...