भजन

भजन


राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत

राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत ।
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत ॥
राम करे सो होय रे मनवा राम करे सो होये ॥

कोमल मन काहे को दुखाये काहे भरे तोरे नैना ।
जैसी जाकी करनी होगी वैसा पड़ेगा भरना ।
काहे धीरज खोये रे मनवा काहे धीरज खोये ॥

पतित पावन नाम है वाको रख मन में विश्वास ।
कर्म किये जा अपना रे बंदे छोड़ दे फल की आस ।
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवा राह दिखाऊँ तोहे ॥