आरतियाँ


जयति जयति वन्दन हर की

जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की

भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की

गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की