कबीर के भजन

कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदास भारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे। भारत में धर्म, भाषा या संस्कृति किसी की भी चर्चा बिना कबीर की चर्चा के अधूरी ही रहेगी। कबीरपंथी, एक धार्मिक समुदाय जो कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं|


रे दिल गाफिल

रे दिल गाफिल गफलत मत कर
एक दिना जम आवेगा॥ टेक॥

सौदा करने या जग आया
पूजी लाया मूल गॅंवाया
प्रेमनगर का अन्त न पाया
ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥

सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता
या जीवन में क्या क्या कीता
सिर पाहन का बोझा लीता
आगे कौन छुडावेगा॥ २॥

परलि पार तेरा मीता खडिया
उस मिलने का ध्यान न धरिया
टूटी नाव उपर जा बैठा
गाफिल गोता खावेगा॥ ३॥

दास कबीर कहै समुझाई
अन्त समय तेरा कौन सहाई
चला अकेला संग न को
कीया अपना पावेगा॥ ४॥