कबीर के भजन

कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदास भारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे। भारत में धर्म, भाषा या संस्कृति किसी की भी चर्चा बिना कबीर की चर्चा के अधूरी ही रहेगी। कबीरपंथी, एक धार्मिक समुदाय जो कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं|


बीत गये दिन

बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥

बाल अवस्था खेल गवांयो।
जब यौवन तब मान घना रे॥

लाहे कारण मूल गवाँयो।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥

कहत कबीर सुनो भ साधो।
पार उतर गये संत जना रे॥