शनि देव 2

शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं।


शनि यंत्र विधान


शनि यंत्र

शनि यंत्र को सिद्ध करके घर में स्थापित करने से हर प्रकार का शनि दोष दूर होने लगता है और साथ ही शनि देव की कृपा भी प्राप्त होने लगती है | कुम्भ और मकर राशी के स्वामी गृह शनि देव है और वे अपनी राशी में थोड़े कमजोर होते है इसलिए कुम्भ और मकर राशी के जातकों को सिद्ध शनि यंत्र घर में स्थापित कर उसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए | जिस जातक की कुंडली में लग्न में शनि है उन्हें भी शनि यंत्र द्वारा शनि आराधना करनी चाहिए | जो जातक शनि की साढ़े साती और ढईया से परेशान है उन्हें भी सिद्ध शनि यंत्र द्वारा लाभ अवश्य प्राप्त होता है | इन सबके अतिरिक्त जीवन में जब हर तरफ से दुःख और पीड़ाएं आने लगें तो ऐसे में शनि आराधना करने से लाभ अवश्य मिलता है|