शनि देव 2
शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं।
- भारत में तीन चमत्कारिक शनि सिद्ध पीठ
- महाराष्ट्र का शिंगणापुर गांव का सिद्ध पीठ
- मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पास शनिश्चरा मन्दिर
- उत्तर प्रदेश के कोशी के पास कौकिला वन में सिद्ध शनि देव का मन्दिर
- शनि की साढे साती
- शनि परमकल्याण की तरफ़ भेजता है
- काशी में शनिदेव ने तपस्या करने के बाद ग्रहत्व प्राप्त किया था
- शनि मंत्र
- शनि बीज मन्त्र
- शनि अष्टोत्तरशतनामावली
- शनि स्तोत्रम्
- शनि चालीसा
- शनिवज्रपञ्जर-कवचम्
- शनि संबंधी रोग
- शनि यंत्र विधान
- शनि के रत्न और उपरत्न
- शनि की जुड़ी बूटियां
- शनि सम्बन्धी व्यापार और नौकरी
- शनि सम्बन्धी दान पुण्य
- शनि सम्बन्धी वस्तुओं की दानोपचार विधि
- शनि ग्रह के द्वारा परेशान करने का कारण
- शनि मंत्र
- भारत में तीन चमत्कारिक शनि सिद्ध पीठ
- महाराष्ट्र का शिंगणापुर गांव का सिद्ध पीठ
- मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पास शनिश्चरा मन्दिर
- उत्तर प्रदेश के कोशी के पास कौकिला वन में सिद्ध शनि देव का मन्दिर
- शनि की साढे साती
- शनि परमकल्याण की तरफ़ भेजता है
- काशी में शनिदेव ने तपस्या करने के बाद ग्रहत्व प्राप्त किया था
- शनि मंत्र
- शनि बीज मन्त्र
- शनि अष्टोत्तरशतनामावली
- शनि स्तोत्रम्
- शनि चालीसा
- शनिवज्रपञ्जर-कवचम्
- शनि संबंधी रोग
- शनि यंत्र विधान
- शनि के रत्न और उपरत्न
- शनि की जुड़ी बूटियां
- शनि सम्बन्धी व्यापार और नौकरी
- शनि सम्बन्धी दान पुण्य
- शनि सम्बन्धी वस्तुओं की दानोपचार विधि
- शनि ग्रह के द्वारा परेशान करने का कारण
- शनि मंत्र