मंत्र संग्रह

हिन्दू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिन्तन होता है। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं। काफी चिन्तन-मनन के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर मंत्र कह देते हैं।


हनुमान दर्शन हेतु मंत्र

ॐ हनुमान पहलवान , वर्ष बारहा का जवान|

हाथ में लड्डू, मुख में पान| आओ आओ बाबा हनुमान|
न आओ तो दुहाई महादेव गौरा -पार्वती की| शब्द साँचा|
पिण्ड काँचा| फुरो मन्त्र इश्वरो वाचा||


विधि :-
साधक इस मंत्र का अनुष्ठान मंगलवार या शनिवार से प्रारम्भ करें| श्री हनुमान विषयक नियम का पालन करते हुए सिन्दूर का चोला, जनेऊ, खड़ाऊँ, लंगोट, पाँच लड्डू एवं ध्वजा चढ़ावे और प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखें| व्रत में एवं जप समय लाल वस्त्र धारण करें, लाल आसन पर बैठ लाल चन्दन की माला का उपयोग करें| प्रति शनिवार गुड़ और चने का वितरण करें तथा यह क्रिया तीन माह करते हुए प्रतिदिन दस मालायें जपें और पवित्रता का ध्यान रखें इससे पवन सुत प्रसन्न होकर दुर्शन देंगे| उस समय हनुमान जी से जो चाहे माँग लें|