मंत्र संग्रह

हिन्दू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिन्तन होता है। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं। काफी चिन्तन-मनन के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर मंत्र कह देते हैं।


सिद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र

ॐ ग्लां ग्लीं ग्लूं गं गणपतये नम :
प्रकाशय ग्लूं गलीं ग्लां फट् स्वाहा||

विधि :-

इस मंत्र का जप करने वाला साधक सफेद वस्त्र धारण कर सफेद रंग के आसन पर बैठकर पूर्ववत् नियम का पालन करते हुए इस मंत्र का सात हजार जप करे| जप के समय दूब, चावल, सफेद चन्दन सूजी का लड्डू आदि रखे तथा जप काल में कपूर की धूप जलाये तो यह मंत्र ,सर्व मंत्रों को सिद्ध करने की ताकत (Power, शक्ति) प्रदान करता है|