ॐ ऐं ह्नीं राहवे नमः ||
( 3 माला का जाप करें )
रत्न - गोमेद . भोजन - मीठी रोटी, रेवड़ी, तिल से बने पदार्थ |
हिन्दू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिन्तन होता है। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं। काफी चिन्तन-मनन के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर मंत्र कह देते हैं।
ॐ ऐं ह्नीं राहवे नमः ||
( 3 माला का जाप करें )
रत्न - गोमेद . भोजन - मीठी रोटी, रेवड़ी, तिल से बने पदार्थ |