संत साहित्य

Collected works of greatest Hindu saints and seers.


स्तोत्रे १

स्तोत्रे १

सर्व स्तोत्रे या वर्गात आहे.

राम स्तोत्रे

राम स्तोत्रे

राम स्तोत्रांचा संग्रह

गणपती स्तोत्रे

गणपती स्तोत्रे

गणपती स्तोत्रे

देवांच्या भूपाळ्या

देवांच्या भूपाळ्या

सगुण उपासनेंत देवाला मनुष्यासारखे सोपस्कार करतात. देव रात्रीं झोंपला आहे. त्याला झोंपेतून उठविण्यासाठी पहांटेच्या भूप रागांत गाणें गावयाचें ही कल्पना भूपाळ्यांत आहे. त्याचप्रमाणें स्वतःच्या अंतःकरणांत असलेल्या देवत्त्वालाही जागृत करण्याचा हेतु भूपाळ्या म्हणण्यांत डोळ्यासमोर ठेवलेला आहे.

विष्णु स्तोत्रे

विष्णु स्तोत्रे

विष्णू हि सर्वोच्च शक्ती असून, त्रिमूर्ती ब्रह्मा, विष्णू आणि महेश यांपैकी, भगवान विष्णूचे कार्य विश्वाचा सांभाळ आणि प्रतिपाळ करणे आहे.या विश्वात जेव्हा जेव्हा राक्षसी शक्ती मानवास त्रासदायक होतात,तेव्हा श्रीविष्णू अवतार घेऊन त्यांचा नाश करतात.विष्णूचे अवतार दहा-मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध आणि कल्की. ज्या ज्या वेळेस विष्णूने पृथ्वीवर अवतार घेतला त्या त्या वेळेस त्यांची पत्नी लक्ष्मीनेही अवतार घेतला, रामावतरात सीता तर कृष्णावतारात रुख्मिणी. कृष्णावतारात भगवानांनी अर्जुनाला गीता सांगितली, ज्यात जीवनातील अंतीम सत्य आहे.विष्णूला नारायण म्हणूनही संबोधतात.विष्णूचे वास्तव्य क्षीरसागरात शेशनागावर आहे. त्याचे वाहन गरूड आहे.चार हातात शंख, चक्र, गदा, पद्म आहेत.समुद्रमंथनात अमृत मिळाले असता मोहिनी रूप घेऊन ते त्यांनी देवांना मिळवून दिले.

स्तोत्रम्

स्तोत्रम्

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चतुर्दश मारूती स्तोत्रे

चतुर्दश मारूती स्तोत्रे

समर्थ रामदास स्वामी लिखित

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है।

गणेश जी की कहानियाँ

गणेश जी की कहानियाँ

हिन्दू सभ्यता में कई देवी देवतायें हैं। श्री गणेश उनमें बहुत ही माने जाते हैं। श्री गणेश जी की कहानियाँ और उनके विषय में बच्चे जानना बहुत पसंद करते हैं।

शनि देव 1

शनि देव 1

शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं।

शनि की साढ़े साती

शनि की साढ़े साती

शनि की साढ़े साती, भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह, शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है। ज्योतिष एवं खगोलशास्त्र के नियमानुसार सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। इस प्रकार जब शनि ग्रह लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है। शनि की मंथर गति से चलने के कारण ये ग्रह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष यात्रा करता है, इस प्रकार एक वर्तमान के पहले एक पिछले तथा एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए ये तीन गुणा, अर्थात साढ़े सात वर्ष की अवधि का काल साढ़े सात वर्ष का होता है। भारतीय ज्योतिष में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।

शनि देव के 108 नाम

शनि देव के 108 नाम

शनि देव को हिन्दू धर्म में न्याय का देवता माना जाता है। माना जाता है कि इनके प्रकोप से बड़े से बड़ा धनवान भी दरिद्र बन जाता है। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी को तेल चढ़ाने से शनि के साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है और शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनि देव को कई नामों से जाना जाता है आइए जाने शनि देव के विभिन्न नाम :-

शनिवार व्रत कथा

शनिवार व्रत कथा

शनि व्रत अग्नि पुराण के अनुसार शनि ग्रह की से मुक्ति के लिए "मूल" नक्षत्र युक्त शनिवार से आरंभ करके सात शनिवार शनिदेव की व्रत एवं पूजा की जाती है।

श्री शनिदेव की पूजा

श्री शनिदेव की पूजा

श्री शनिदेव की पूजा क्यों, कैसे करे और कब करे ?

शनि मंदिर, शिंगणापुर

शनि मंदिर, शिंगणापुर

शनि तीर्थ क्षेत्र महाराष्ट्र में ही शनिदेव के अनेक स्थान हैं, पर शनि शिंगणापुर का एक अलग ही महत्व है। यहाँ शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है। घर है परंतु दरवाजा नहीं। वृक्ष है लेकिन छाया नहीं।

श्री शनि स्तोत्र

श्री शनि स्तोत्र

श्री शनि देव स्तोत्र

शनि देव 2

शनि देव 2

शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं।

साई बाबा स्तोत्र

साई बाबा स्तोत्र

शिर्डी साई बाबांचे स्तोत्र, अभंग, नमन, नामस्मरण