श्रीविष्णुपुराण
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
- अध्याय १
- चौबीस तत्त्वोंके विचारके साथ जगत्के उप्तत्ति क्रमका वर्णन और विष्णुकी महिमा
- ब्रह्मादिकी आयु और कालका स्वरूप
- ब्रह्माजीकी उप्तत्ति वराहभगवानद्वारा पृथिवीका उद्धार और ब्रह्माजीकी लोक रचना
- अविद्यादि विविध सर्गोका वर्णन
- चातुर्वर्ण्य-व्यवस्था, पृथिवी-विभाग और अन्नादिकी उत्पात्तिका वर्णन
- मरीचि आदि प्रजापतिगण, तामसिक सर्ग, स्वायम्भुवमनु और शतरूपा तथा उनकी सन्तानका वर्णन
- रौद्र सृष्टि और भगवान् तथा लक्ष्मीजीकी सर्वव्यापकताका वर्णन
- देवता और दैत्योंका समुद्र मन्थन
- भृगु, अग्नि और अग्निष्वात्तादि पितरोंकी सन्तानका वर्णन
- ध्रुवका वनगमन और मरीचि आदि ऋषियोंसे भेंट
- ध्रुवकी तपस्यासे प्रसन्न हुए भगवान्का आविर्भाव और उसे ध्रुवपद-दान
- राजा वेन और पृथुका चरित्र
- प्राचीनबर्हिका जन्म और प्रचेताओंका भगवदाराधन
- प्रचेताओंका मारिषा नामक कन्याके साथ विवाह, दक्ष प्रजापतिकी उत्पत्ति एवं दक्षकी आठ कन्याओंके वंशका वर्णन
- नृसिंहावतारविषयक प्रश्न
- हिरण्यकशिपूका दिग्विजय और प्रह्लाद-चरित
- प्रह्लादको मारनेके लिये विष, शस्त्र और अग्नि आदिका प्रयोग
- प्रह्लादकृत भगवत्-गुण वर्णन और प्रह्लादकी रक्षाके लिये भगवान्का सुदर्शनचक्रको भेजना
- प्रह्लादकृत भगवत् - स्तृति और भगवान्का आविर्भाव
- कश्यपजीकी अन्य स्त्रियोंके वंश एवं मरुद्गणकी उप्तत्तिका वर्णन
- विष्णुभगवान्की विभूति और जगत्की व्यवस्थाका वर्णन
- प्रियव्रतके वंशका वर्णन
- भूगोलका विवरण
- भारतादि नौ खण्डोंका विभाग
- प्लक्ष तथा शाल्मल आदि द्वीपोंका विशेष वर्णन
- सात पाताललोकोंका वर्णन
- भिन्न - भिन्न नरकोंका तथा भगवन्नामके माहात्म्यका वर्णन
- भूर्भुवः आदि सात ऊर्ध्वलोकोंका वृत्तान्त
- सूर्य, नक्षत्र एवं राशियोंकी व्यवस्था तथा कालचक्र, लोकपाल और गंगाविर्भावका वर्णन
- ज्योतिश्चक्र और शुशुमारचक्र
- द्वादश सूर्योंके नाम एवं अधिकारियोंका वर्णन
- सूर्यशक्ति एवं वैष्णवी शक्तिका वर्णन
- नवग्रहोंका वर्णन तथा लोकान्तरसम्बन्धी व्याख्यानका उपसंहार
- भरत-चरित्र
- जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद
- ऋभुका निदाघको अद्वैतज्ञानोपदेश
- ऋभुकी आज्ञासे निदाघका अपने घरको लौटना
- वैवस्वतमनुके वंशका विवरण
- इक्ष्वाकुके वंशका वर्णन तथा सौभरिचरित्र
- मान्धाताकी सन्तति, त्रिशुंकका स्वर्गारोहण तथा सगरकी उप्तत्ति और विजय
- सगर, सौदास, खट्वांग और भगवान् रामके चरित्रका वर्णन
- निमि-चरित्र और निमिवंशका वर्णन
- सोमवंशका वर्णनः चन्द्रमा, बुध और पुरुरवाका चरित्र
- जह्नुका गंगापान तथा जगदग्नि और विश्वामित्रकी उत्पत्ति
- काश्यवंशका वर्णन
- महाराज रजि और उनके पुत्रोंका चरित्र
- ययातिका चरित्र
- यदुवंशका वर्णन और सहस्त्रार्जुनका चरित्र
- यदुपुत्र क्रोष्टुका वंश
- सत्वतकी सन्ततिका वर्णन और स्यमन्तकमणिकी कथा
- अध्याय १
- चौबीस तत्त्वोंके विचारके साथ जगत्के उप्तत्ति क्रमका वर्णन और विष्णुकी महिमा
- ब्रह्मादिकी आयु और कालका स्वरूप
- ब्रह्माजीकी उप्तत्ति वराहभगवानद्वारा पृथिवीका उद्धार और ब्रह्माजीकी लोक रचना
- अविद्यादि विविध सर्गोका वर्णन
- चातुर्वर्ण्य-व्यवस्था, पृथिवी-विभाग और अन्नादिकी उत्पात्तिका वर्णन
- मरीचि आदि प्रजापतिगण, तामसिक सर्ग, स्वायम्भुवमनु और शतरूपा तथा उनकी सन्तानका वर्णन
- रौद्र सृष्टि और भगवान् तथा लक्ष्मीजीकी सर्वव्यापकताका वर्णन
- देवता और दैत्योंका समुद्र मन्थन
- भृगु, अग्नि और अग्निष्वात्तादि पितरोंकी सन्तानका वर्णन
- ध्रुवका वनगमन और मरीचि आदि ऋषियोंसे भेंट
- ध्रुवकी तपस्यासे प्रसन्न हुए भगवान्का आविर्भाव और उसे ध्रुवपद-दान
- राजा वेन और पृथुका चरित्र
- प्राचीनबर्हिका जन्म और प्रचेताओंका भगवदाराधन
- प्रचेताओंका मारिषा नामक कन्याके साथ विवाह, दक्ष प्रजापतिकी उत्पत्ति एवं दक्षकी आठ कन्याओंके वंशका वर्णन
- नृसिंहावतारविषयक प्रश्न
- हिरण्यकशिपूका दिग्विजय और प्रह्लाद-चरित
- प्रह्लादको मारनेके लिये विष, शस्त्र और अग्नि आदिका प्रयोग
- प्रह्लादकृत भगवत्-गुण वर्णन और प्रह्लादकी रक्षाके लिये भगवान्का सुदर्शनचक्रको भेजना
- प्रह्लादकृत भगवत् - स्तृति और भगवान्का आविर्भाव
- कश्यपजीकी अन्य स्त्रियोंके वंश एवं मरुद्गणकी उप्तत्तिका वर्णन
- विष्णुभगवान्की विभूति और जगत्की व्यवस्थाका वर्णन
- प्रियव्रतके वंशका वर्णन
- भूगोलका विवरण
- भारतादि नौ खण्डोंका विभाग
- प्लक्ष तथा शाल्मल आदि द्वीपोंका विशेष वर्णन
- सात पाताललोकोंका वर्णन
- भिन्न - भिन्न नरकोंका तथा भगवन्नामके माहात्म्यका वर्णन
- भूर्भुवः आदि सात ऊर्ध्वलोकोंका वृत्तान्त
- सूर्य, नक्षत्र एवं राशियोंकी व्यवस्था तथा कालचक्र, लोकपाल और गंगाविर्भावका वर्णन
- ज्योतिश्चक्र और शुशुमारचक्र
- द्वादश सूर्योंके नाम एवं अधिकारियोंका वर्णन
- सूर्यशक्ति एवं वैष्णवी शक्तिका वर्णन
- नवग्रहोंका वर्णन तथा लोकान्तरसम्बन्धी व्याख्यानका उपसंहार
- भरत-चरित्र
- जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद
- ऋभुका निदाघको अद्वैतज्ञानोपदेश
- ऋभुकी आज्ञासे निदाघका अपने घरको लौटना
- वैवस्वतमनुके वंशका विवरण
- इक्ष्वाकुके वंशका वर्णन तथा सौभरिचरित्र
- मान्धाताकी सन्तति, त्रिशुंकका स्वर्गारोहण तथा सगरकी उप्तत्ति और विजय
- सगर, सौदास, खट्वांग और भगवान् रामके चरित्रका वर्णन
- निमि-चरित्र और निमिवंशका वर्णन
- सोमवंशका वर्णनः चन्द्रमा, बुध और पुरुरवाका चरित्र
- जह्नुका गंगापान तथा जगदग्नि और विश्वामित्रकी उत्पत्ति
- काश्यवंशका वर्णन
- महाराज रजि और उनके पुत्रोंका चरित्र
- ययातिका चरित्र
- यदुवंशका वर्णन और सहस्त्रार्जुनका चरित्र
- यदुपुत्र क्रोष्टुका वंश
- सत्वतकी सन्ततिका वर्णन और स्यमन्तकमणिकी कथा